हाशिमपुरा: दिल्ली हाईकोर्ट ने अभियुक्तों को सुनाई उम्रकैद की सज़ा

मेरठ के हाशिमपुरा में 31 साल पहले हुए नरसंहार में दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी अभियुक्तों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है.

इससे पहले ट्रायलकोर्ट ने पीएसी के 16 जवानों को इस केस में संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया था. इस केस में मानवाधिकार आयोग की तरफ से केस लड़ने वाली वकील वृंदा ग्रोवर ने बीबीसी हिंदी से बताया, कोर्ट का ये फ़ैसला आया है कि पीएसी के जिन जवानों को छोड़ दिया गया था, अब उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई है. कोर्ट ने कहा कि इस बात के ठोस सबूत हैं कि पीएसी के जवानों ने अल्पसंख्यकों को जानबूझकर निशाना बनाया था.''

वृंदा ग्रोवर ने बताया, ''ये सज़ा आईपीसी 302, 307 और सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में सज़ा सुनाई गई है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इस केस में अहम जनरल डायरी एंट्री थी, जिसे ट्रायल कोर्ट की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से छिपा दिया गया था. हमने वो कागज़ निकलवाया और केस में दोबारा हाईकोर्ट में एविडेंस रिकॉर्ड हुए. इस डायरी में 19 लोगों को स्पष्ट नाम लिखा था. इनमें से तीन लोग अब जीवित नहीं हैं.''

हाशिमपुरा नरसंहार के वक़्त एक शख़्स ज़ुल्फिकार भी थे, जो पीएसी के जवानों की गोली से बच गए थे.

बीबीसी हिंदी से बात करते हुए ज़ुल्फिकार ने कहा, ''31 साल से जो हम लड़ाई लड़ रहे थे. आज कोर्ट के फैसले के बाद हमारी जीत हुई है. अदालत के हम आभारी हैं कि इंसाफ को कायम रखा गया है. जो झूठ दबाया हुआ था ताकि केस कमज़ोर पड़ जाए. आज हमारी जीत हुई है. हाशिमपुरा में आज मिठाइयां बंट रही हैं.''

1987 में हाशिमपुरा कस्बे में हुए नरसंहार में 40 मुसलमान मारे गए थे.

1987 में मेरठ में हुए दंगे के बाद पीएसी के जवान हाशिमपुरा मुहल्ले के 40 मुसलमानों को कथित तौर पर अपने साथ ले गए थे. जवानों ने उन्हें जांच अभियान के बाद पकड़ा था.

इस मामले में अभियोग पत्र ग़ाज़ियाबाद के चीफ़ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने 1996 में पेश किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने मारे गए लोगों को परिजनों की अर्जी पर 2002 में यह मामला दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था.

Comments

Popular posts from this blog

Пожилая дачница заживо сгорела в Подмосковье из-за газового баллона

क्या 'वाइब्रेंट गुजरात' ने मोदी के पीएम बनने में मदद की?: नज़रिया

ईरान-अमरीका में जंग हुई तो भारत पर कितना बुरा असर होगा?