नजर रखने के लिए पहली बार दो छोटे सैटेलाइट भी भेजे
नासा का रोबोटिक मार्स लैंडर सोमवार रात 1:24 बजे मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतर गया। नासा के मुताबिक, पहली बार दो एक्सपेरिमेंटल सैटेलाइट्स ने किसी स्पेसक्राफ्ट का पीछा करते हुए उस पर नजर रखी। इस पूरे मिशन पर 99.3 करोड़ डॉलर (करीब 7044 करोड़ रुपए) का खर्च आया। ये दोनों सैटेलाइट मंगल पर पहुंच रहे स्पेसक्राफ्ट से छह हजार मील पीछे चल रहे थे। नासा ने इसी साल 5 मई को कैलिफोर्निया के वंडेनबर्ग एयरफोर्स स्टेशन से एटलस वी रॉकेट के जरिए मार्स लैंडर लॉन्च किया था। इनसाइट के लिए लैंडिंग में लगने वाला छह से सात मिनट का समय बेहद महत्वपूर्ण रहा। सतह पर उतरते वक्त इसकी रफ्तार 19 हजार 800 किलोमीटर प्रति घंटे थी। अगले छह मिनट के अंदर यह शून्य की रफ्तार पर आ गया। इसके बाद यह पैराशूट से बाहर आया और अपने तीन पैरों पर लैंड कर गया। 8 मिनट में भेज दी जानकारी इस दौरान इसका पीछा कर रहे दोनों सैटेलाइट्स के जरिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजरें इनसाइट पर रहीं। डिज़्नी के किरदारों के नाम वाले ये सैटेलाइट्स ‘वॉल-ई' और ‘ईव' ने आठ मिनट में इनसाइट के मंगल पर उतरने की जानकारी धरती तक पहुंचा दी। नासा ने