डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों है और कैसे हुई इतनी मज़बूत
बैंकों और आयातकों के बीच डॉलर की भारी मांग के कारण ये गिरावट आ रही है. विदेशी मुद्रा के कारोबारियों का कहना है कि अमरीका और चीन में जारी ट्रेड वॉर के कारण रुपया दबाव में है और एक डॉलर ख़रीदने के लिए 72.03 रुपए देने पड़ रहे हैं. सोमवार को चीन की मुद्रा में भी भारी गिरावट दर्ज की गई थी. शुक्रवार को रुपया 71.66 पर बंद हुआ था. आख़िर अमरीकी डॉलर दुनिया भर में इस क़दर मज़बूत क्यों है? डॉलर की मांग ज़्यादा क्यों रहती है? और दुनिया के सभी देश अपने विदे शी मुद्रा भंडार में डॉलर को ही क्यों रखते हैं? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवा ब से आप रुपए की कमज़ोरी और डॉलर की मज़बूती को समझ सकते हैं. अमरीकी मुद्रा डॉलर की पहचान एक वैश्विक मुद्रा की बन गई है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर और यूरो काफ़ी लोकप्रिय और स्वीकार्य हैं. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 फ़ीसदी अमरीकी डॉलर होते हैं. ऐसे में डॉलर ख़ुद ही एक वैश्वि क मुद्रा बन जाता है. डॉलर वैश्विक मुद्रा है और यह उ सकी मज़बूती और अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त का प्रतीक है. इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन ल