वो पुल जिसके टूटने से हिल गया था इटली
कभी हज़ारों की संख्या में गाड़ियां रोज़ाना इटली में जेनोवा के पुल पर एक तरफ़ से दूसरी तरफ जाती थीं. लेकिन आज इस पुल को टूटे एक साल से ज़्यादा वक्त बीत चुका है.
हादसे के वक़्त कई गाड़ियां 45 मीटर ऊंचे इस पुल से सीछे नीचे गिर गईं. इस हादसे में 43 लोगों की मौत हुई थी.
पढ़िए हादसे से जुड़े सात लोगों की कहानियां, जिनकी ज़िंदगी पर इसका गहरा असर पड़ा-
हादसे के दिन यानी 13 अगस्त 2018 को इमैनुएल डियाज़ अपने भाई हेनरी के साथ मोरांडी पुल से गुज़र रहे थे. इमैनुएल साइकोलॉजी की पढ़ाई करने के लिए कोलंबिया जाने वाले थे और हेनरी उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने जा रहे थे.
इमैनुएल बताते हैं, "हम एक दूसरे से दूर जाने वाले थे. मैंने हेनरी को गले लगाया और उससे कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मुझे बेचैनी-सी हो रही थी क्योंकि उसे छोड़ कर जाना नहीं चाहता था. जो आख़िरी शब्द उसने मुझसे कहे वो थे 'इमैनुएल अब मुझे जाना होगा.' "
"अब मुझे लगता है कि शायद हमारा नसीब कुछ ऐसा ही लिखा था कि ज़िंदगी ने हमें एक दूसरे को अलविदा कहने का मौक़ा दिया. मैं उसे हमेशा गले लगाए रहना चाहता था."
अगली सुबह इमैनुएल बोगॉटा में अपनी कनेक्टिंग फ्लाइट का इंतज़ार कर रहे थे. वहां उन्होंने ख़बरों में पढ़ा कि जेनोवा का ब्रिज गिर गया है.
"मुझे लगा कि कुछ ग़लत हुआ है. हम दोनों भाइयों के बीच ख़ास नाता था. मैं अपने भाई की तस्वीर देखता हूं तो सोचता हूं कि वो मुझसे बहुत दूर हो गया है."
"जब मैं मैडलिन पहुंचा तो मैंने उससे, अपने दोस्तों और इटली में मौजूद हमारी मां से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन निराश हुआ. मैं घर से 14 हज़ार किलोमीटर दूर था. मैंने ऑनलाइन ख़बरें खोजनी शुरू कीं. हमारे पास एक पीली रंग की कार थी जो दूर से पहचानी जा सकती थी."
"मैंने फ़ेसबुक के एक पन्ने पर लाइवस्ट्रीम वीडियो देखा कि मलबे से पीले रंग की एक कार को बाहर निकाला जा रहा था. मैं समझ गया कि मेरा भाई अब दुनिया में नहीं है. कार का हाल देख कर साफ़ कहा जा सकता था कि किसी के बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी. मुझे लगा कि मेरे घुटनों में अब ताक़त नहीं बची है. मैं ज़मीन पर गिर गया."
डेप्युटी अभियोजक पाओलो डी'ओवितियो गर्मी की छुट्टियां बिता कर लौटे थे. अपना फ़ोन वो घर पर ही भूल गए थे और यही बताने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी को फ़ोन किया.
उनकी पत्नी ने उन्हें टीवी पर समाचार देखने के लिए कहा और बताया कि मोरांडी पुल टूट गया है.
वो कहते हैं, "मैं तुरंत घर गया, अपना फ़ोन लिया और पुलिस के पास पहुंचा. घटना के एक घंटे के भीतर हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे. वहां अग्नमिशमन कर्मचारी, पुलिस, डॉक्टर और पत्रकार पहले ही मौजूद थे."
"लगातार बारिश हो रही थी. मैं हताश था. वो नज़ारा आज भी आंखों के आगे घूम जाता है. लोग चिल्ला रहे थे. रो रहे थे, खोजी कुत्तों को मलबे में ज़िंदा लोगों और शवों की तलाश के काम में लगाया गया था. साथ ही नीचे पुल और सड़क के बड़े-बड़े टुकड़े पड़े थे. पुल से एक गाड़ी लटक रही थी जिसमें एक ड्राइवर फंसा हुआ था."
हादसे के वक़्त कई गाड़ियां 45 मीटर ऊंचे इस पुल से सीछे नीचे गिर गईं. इस हादसे में 43 लोगों की मौत हुई थी.
पढ़िए हादसे से जुड़े सात लोगों की कहानियां, जिनकी ज़िंदगी पर इसका गहरा असर पड़ा-
हादसे के दिन यानी 13 अगस्त 2018 को इमैनुएल डियाज़ अपने भाई हेनरी के साथ मोरांडी पुल से गुज़र रहे थे. इमैनुएल साइकोलॉजी की पढ़ाई करने के लिए कोलंबिया जाने वाले थे और हेनरी उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने जा रहे थे.
इमैनुएल बताते हैं, "हम एक दूसरे से दूर जाने वाले थे. मैंने हेनरी को गले लगाया और उससे कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मुझे बेचैनी-सी हो रही थी क्योंकि उसे छोड़ कर जाना नहीं चाहता था. जो आख़िरी शब्द उसने मुझसे कहे वो थे 'इमैनुएल अब मुझे जाना होगा.' "
"अब मुझे लगता है कि शायद हमारा नसीब कुछ ऐसा ही लिखा था कि ज़िंदगी ने हमें एक दूसरे को अलविदा कहने का मौक़ा दिया. मैं उसे हमेशा गले लगाए रहना चाहता था."
अगली सुबह इमैनुएल बोगॉटा में अपनी कनेक्टिंग फ्लाइट का इंतज़ार कर रहे थे. वहां उन्होंने ख़बरों में पढ़ा कि जेनोवा का ब्रिज गिर गया है.
"मुझे लगा कि कुछ ग़लत हुआ है. हम दोनों भाइयों के बीच ख़ास नाता था. मैं अपने भाई की तस्वीर देखता हूं तो सोचता हूं कि वो मुझसे बहुत दूर हो गया है."
"जब मैं मैडलिन पहुंचा तो मैंने उससे, अपने दोस्तों और इटली में मौजूद हमारी मां से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन निराश हुआ. मैं घर से 14 हज़ार किलोमीटर दूर था. मैंने ऑनलाइन ख़बरें खोजनी शुरू कीं. हमारे पास एक पीली रंग की कार थी जो दूर से पहचानी जा सकती थी."
"मैंने फ़ेसबुक के एक पन्ने पर लाइवस्ट्रीम वीडियो देखा कि मलबे से पीले रंग की एक कार को बाहर निकाला जा रहा था. मैं समझ गया कि मेरा भाई अब दुनिया में नहीं है. कार का हाल देख कर साफ़ कहा जा सकता था कि किसी के बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी. मुझे लगा कि मेरे घुटनों में अब ताक़त नहीं बची है. मैं ज़मीन पर गिर गया."
डेप्युटी अभियोजक पाओलो डी'ओवितियो गर्मी की छुट्टियां बिता कर लौटे थे. अपना फ़ोन वो घर पर ही भूल गए थे और यही बताने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी को फ़ोन किया.
उनकी पत्नी ने उन्हें टीवी पर समाचार देखने के लिए कहा और बताया कि मोरांडी पुल टूट गया है.
वो कहते हैं, "मैं तुरंत घर गया, अपना फ़ोन लिया और पुलिस के पास पहुंचा. घटना के एक घंटे के भीतर हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे. वहां अग्नमिशमन कर्मचारी, पुलिस, डॉक्टर और पत्रकार पहले ही मौजूद थे."
"लगातार बारिश हो रही थी. मैं हताश था. वो नज़ारा आज भी आंखों के आगे घूम जाता है. लोग चिल्ला रहे थे. रो रहे थे, खोजी कुत्तों को मलबे में ज़िंदा लोगों और शवों की तलाश के काम में लगाया गया था. साथ ही नीचे पुल और सड़क के बड़े-बड़े टुकड़े पड़े थे. पुल से एक गाड़ी लटक रही थी जिसमें एक ड्राइवर फंसा हुआ था."
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