Posts

Showing posts from January, 2019

क्या 'वाइब्रेंट गुजरात' ने मोदी के पीएम बनने में मदद की?: नज़रिया

वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का नौवां संस्करण गुजरात की राजधानी गांधीनगर में शुक्रवार से शुरू हो रहा है. तीन दिनों तक चलने वाले इस समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस सिलसिले में वो फिलहाल अभी गुजरात प्रवास पर हैं. उद्योग जगत को एक मंच पर लाने के लिए अहम माने जाने वाले इस समिट की कथित सफलताओं पर सवाल उठते रहे हैं. इससे पहले साल 2017 में वाइब्रेंट गुजरात समिट का आयोजन किया गया था. साल 2003 में शुरू हुए इस समिट को तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिमागी उपज समझा जाता है, जिसे आनंदीबेन पटेल और विजय रुपानी ने भी आगे बढ़ाया. वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट की वेबसाइट का दावा है कि इस बार आयोजन के लिए 186 से ज़्यादा डेलीगेस्ट्स और 26 हज़ार से ज्यादा कंपनियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. तब से अब तक आठ समिट हो चुके हैं, जिसमें हज़ारों क रोड़ों के एमओयू (मेमोरैंडम ऑ फ अंडरस्टैंडिंग) और निवेश की घोषणा चर्चा का विषय बनते आ रहे हैं. विश्लेषक इसे कॉर्पोरेट और राजनीति के बीच के तालमेल के रूप में देखते हैं. न सिर्फ निवेश के दावों के लिहाज

सवर्ण आरक्षण का समर्थन कर मोदी के बिल में खामियां गिना गए कपिल सिब्बल

केन्द्र सरकार द्वारा संसद में लाए गए सवर्ण आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा मे चर्चा के दौरान पूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने विधेयक का समर्थन करते हुए बिल में मौजूद कई खामियों को सदन के सामने रखा. कपिल सिब्बल ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने महज राजनीतिक लाभ के लिए बिना सोच समझ और पर्याप्त मेहनत किए एक ऐसा बिल पेश किया है जिसको कानून बनाने में गंभीर खामियां मौजूद हैं. सिब्बल ने गिनाई तीन चुनौतियां 1. बिल लाने के लिए दिमाग नहीं लगाया गया 2. बिल लाने से पहले संवैधानिक स्थिति को नहीं परखा गया 3.संसद से बिल पास हो जाने के बाद इसे लागू करने की बारीकियों को नजरअंदाज किया गया कपिल सिब्बल ने सदन में पूछा कि केन्द्र सरकार संविधान के महत्वपूर्ण अंग में संशोधन करने जा रही है लेकिन क्या उसने कोई आंकड़ा एकत्र किया है? अलग-अलग राज्यों में क्या सामाजिक स्थिति है, किस राज्य में कितने दलित, कितने कितने ओबीसी अथवा कितने आर्थिक तौर पर कमजोर लोग हैं? कपिल सिब्ब ल ने कहा कि देश में जब मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया तब उसे 10 साल पहले से लागू करने की तैयारी

चुनाव से पहले 2 तोहफे देगी मोदी सरकार, आपके PF पर होगा सीधा असर

मोदी सरकार के लिए 2019  का साल काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, इस साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मोदी सरकार जनहित के कई बड़े फैसले ले सकती है. सरकार दो ऐसे भी फैसले करने वाली है जिसका सीधा असर नौकरी पेशा वाले लोगों के रिटायरमेंट फंड  PF पर पड़ने वाला है. आज हम आपको इस रिपोर्ट में इन्‍हीं दो फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं. पीएफ पर ब्‍याज दर बढ़ेगा! अगर खबरों की मानें तो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मौजूदा वर्ष में एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रहा है . इस संबंध में जनवरी महीने के आखिरी हफ्ते तक ईपीएफओ फैसला ले सकता है. EPFO की इस पहल का सीधा फायदा इसके करीब 6 करोड़ खाताधारकों को होगा. फिलहाल, EPFO की ब्याज दर 8.55 फीसदी है. सूत्रों के मुताबिक EPFO का इंटरनल रिव्यू होगा और इसी दौरान ब्याज दर बढ़ाने पर फैसला लिया जाएगा.सरकार के इस फैसले का असर सीधे आपके पीएफ अकाउंट पर पड़ने वाला है क्‍योंकि ब्‍याज दर बढ़ने से आपके पीएफ का पैसा भी बढ़ेगा. निवेश को बढ़ाने या घटाने का विकल्प ईपीएफओ अपने खा